Review - Flashback | Balcharit Series Dhruva
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My Rating: 4.5/5
RC Official Rating: 4.6/5
Format: Printed
Issue No: SPCL-2583-H
Language: Hindi
Author: Anupam Sinha
Penciler: Anupam Sinha
Inker: Vinod Kumar
Colorist: Shadab, Basant
Pages: 96
Price: Rs 90.00
Certain things of the comics which have made it even more special:
- The magic and the powers of Giligili appropriately described by the writer. Giligili is shown as a ordinary man rather then a supernatural. Which can be easily understood.
- The mentally and physically fight between Dhruv and Giligili is quite exciting and appreciable.
- The little Dhruv is very cute and clever too.
- And the biggest thing, the return of Jupiter Circus characters. The story of Dhruva's past and the entry of his mother. Which will surely liked by every fan.
Weak side of the comic in my view:
- Mr. Anupam Sinha's love towards Chandika got to see once again. Natasha become Chandika understandable, but the twist of Twisty felt meaningless.
- Will have to do a little more work on drawing especially on the female characters. Female characters should featured according to their age. At least the reader can distinguish between the mother and sister.
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समीक्षा फ्लैशबैक बालचरित श्रृंखला
फ्लैशबैक एक यादगार श्रृंखला की एक यादगार कॉमिक। श्री अनुपम सिन्हा जी की कलम से निकली एक शानदार गाथा। किरदारों की भरमार होने के बावजूद भी हर किरदार के साथ बख़ूबी न्याय किया गया है। कहानी में नयापन है। एक्शन, इमोशन, ड्रामा, कॉमेडी, सस्पेंस कॉमिक में सब मौजूद है और बेहतरीन ढंग से दिखाया गया है। फ्लैशबैक पढ़ कर 90 के दशक की यादें ताजा हो गई।
इस कॉमिक्स की कुछ बातें जिन्होंने इसे और भी ख़ास बना दिया:
- गिलिगिली के जादू और उसकी शक्तिओं का उचित वर्णन किया गया है। उसे अलौकिक नहीं बल्कि एक आम इंसान की तरह से दर्शाया गया है। जो की आसानी से हजम किया जा सकता है।
- गिलिगिली और ध्रुव के बीच दिखाई गई शारीरिक एवम मानसिक लड़ाई काफी रोमांचक और सराहनीय है। पूरी लड़ाई में कहीं भी ध्रुव को जबरदस्ती जीतता हुआ नहीं दिखाया गया।
- बचपन का ध्रुव, बहुत ही प्यारा और चालाक छोटा ध्रुव।
- सबसे बड़ी बात जुपिटर सर्कस के किरदारों की वापसी, ध्रुव के अतीत की कहानी और सबसे अहम ध्रुव की माँ का प्रवेश जो की हर प्रशंसक को सो प्रतिशत पसंद आएगा।
इस कॉमिक के कुछ कमज़ोर पक्ष मेरी नजर में:
- अनुपम जी का चण्डिका प्रेम एक बार फिर से देखने को मिला, श्वेता क कोमा में होने क बावजूद 2-2 चण्डिका दिखीं। नताशा का चण्डिका बनना तो समझ में आता है, परन्तु ट्विस्टी का ट्विस्ट बेमतलब लगा।
- चित्रकारी में खासकर महिला किरदारों पर थोड़ा काम और करना होगा। महिला किरदारों को उनकी उम्र के हिसाब से चित्रित करना चाहिए। कम से कम माँ और बहन में फर्क तो दिखे।
कुल मिलकर एक बेहतरीन कॉमिक जैसा की हर पाठक अनुपम सिन्हा जी से उम्मीद करता है। पूरे पैसे वसूल, आप इसे बार-बार पढ़ना चाहेंगे। दोस्तों आज ही पढ़ें बालचरित भाग -2 'फ्लैशबैक'। आपका सचमुच फ्लैशबैक हो जाएगा।
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