Story - Doga Unmat | Doga Unmulan 4
कहानी: सुदीप मेनन, मंदार गंगेले | चित्रांकन: दिलदीप सिंह | स्याहिकार: विनोद कुमार, ईश्वर आर्ट्स, स्वाति चौधरी | रंगसज्जा: शादाब सिददीकी | शब्दांकन: मंदार गंगेले | संपादन: मनीष गुप्ता
भाषा: हिंदी । पृष्ठ संख्या: 32 । मूल्य: रु 40.00
भाषा: हिंदी । पृष्ठ संख्या: 32 । मूल्य: रु 40.00
Rate Please:
My Ratings: 4/5 RC Official Rating: N/A
डोगा द्वारा जारी हत्याओं के सिलसिले ने मुम्बईवासिओं को सोचने पर मजबूर कर दिया है, क्या सच में डोगा बेकाबू हो गया है? मुम्बई का रक्षक क्या भक्षक बन गया है? ये हत्याएं डोगा के नाम पर कोई और कर रहा है, ये सच अभी मुम्बईवासिओं के सामने नहीं आया है। इस सच को जो शख्स सामने ला सकता है, वह है डोगा यानि सूरज जोकि अब तक बेहोश है। आईये देखें क्या कुछ हुआ कॉमिक "डोगा उन्मत" में।
You might also like to Read:
Review Doga Unmat
कहानी: डोगा उन्मत | डोगा उन्मूलन 4 | राज कॉमिक्स
दृश्य 1: मुख्य कार्यालय फॉलो-उप अखबार, मुंबई, मौजूदा समय - पुलिस को चकमा देने में कामयाब डोगा समाचारों की सुर्ख़ियों में है। फॉलो-उप अखबार की संपादक रजनी पुलिस की इस हार से खफा है। रजनी की बहन शोनाली डोगा के पक्ष में अपने विचार रखती है और कहती है की उसे पूरा यकीन है की इन सब हत्याएं में डोगा नहीं बल्कि किसी और का हाथ है। जबकि रजनी ऐसा नहीं सोचती, उसका मानना है की डोगा मुजरिम है और उसे सलाखों के पीछे होना चाहिए। चाहे कोई भी कारण क्यों न हो, किसी को भी हत्या करने का अधिकार नहीं है।
दृश्य 2: लायन जिम - लोमड़ी बेहोश डोगा को लायन जिम पहंचा देती है। अदरक चाचा डोगा को इस हालत में और किसी अनजान नकाबधारी लड़की के साथ देख चोंक पड़ते हैं। अदरक चाचा समझ जाते हैं की ये लड़की जो कोई भी है, इसका डोगा को यहाँ लेकर आना बताता है की ये डोगा की असलियत जानती है। डोगा के राज को बनाये रखने के लिए अदरक चच्चा लोमड़ी को रोकने की कोशिश करते हैं। लोमड़ी उनसे छुटकारा पा लेती है। तभी मोहर सिंह भी वहां आ पहुँचता है। लोमड़ी उसकी आँखों में धुल जोंककर वहां से निकल जाती है।
दृश्य 3: मुंबई, अगले दिन - "अपने गुनाहों की सजा काटकर एक साफ़ सुथरा जीवन व्यतीत कर रहे पूर्व अपराधियों के डोगा द्वारा सिलसिलेवार क़त्ल", अखबारों और समाचारों में मुख्य मुद्दा बने हुए हैं। मशहूर समाजसेवी शोहन दासगुप्ता डोगा द्वारा किये जा रहे इन कत्लों के प्रति विरोध जाहिर करने के लिए एक रैली गठित करने वाले हैं। फ़ास्ट न्यूज़ चैनल शोहन दासगुप्ता से लाइव बातचीत का एक कार्यक्रम आयोजित करता है। जहाँ शोहन दासगुप्ता कहते हैं की, "डोगा सही और गलत में फर्क भूल चुका है और वह दिन प्रतिदिन बेकाबू होता जा रहा है। पहले डोगा केवल खूंखार अपराधियों को ही मरता था, लेकिन अब वह सुधर चुके अपराधियों को भी नहीं बक्श रहा। डोगा को जेल की सलाखों के पीछे होना चाहिए। और में इस रैली से पहले आज़ाद मैदान में एक जनसभा का आयोजन करूँगा, जिसमे सभी मुंबईवासिओं से रैली में एकजुट होने का आग्रह करूँगा।"
दृश्य 4: आज़ाद मैदान, मुंबई, कुछ दिनों बाद - शोहन दासगुप्ता आज़ाद मैदान में एक विशाल जनसभा का आयोजन करते हैं। जहाँ वह जनसमूह को संवोदित करते हुए बेकाबू और सही गलत का फर्क भूल चुके अपराधी डोगा की असलियत बताते हैं। वह डोगा पर इल्जाम लगते हैं की, "अब तक डोगा अपराधियों का खात्मा समाज सुधार के लिए नहीं बल्कि अपना रास्ता साफ़ करने के लिए कर रहा था। डोगा अपराधियों को ख़त्म करके खुद मुंबई पर अकेला राज करना चाहता है, ताकि उसकी राह में कोई भी रोड़ा न रहे। हमें डोगा को बेनकाब करना होगा और मैं आप लोगों से डोगा उन्मूलन अभियान में आपका सहयोग चाहता हूँ।"
इसी बीच हेलीकॉटर की गड़गड़ाहट की आवाज सुनाई पड़ती है। हेलीकॉप्टर पर डोगा सवार है और वह जनसमूह पर गोलियों की बौछार करना शुरू कर देता है। लोग हड़बड़ा कर अपनी जान बचाकर इधर उधर भागते हैं। ऐसी किसी स्तिथि के लिए पुलिस बिलकुल भी तैयार नहीं थी और वह डोगा को रोकने में असफल होती है। डोगा मंच पर शोहन दासगुप्ता के सामे जा पहुँचता है और सरेआम उनकी हत्या कर वहां से सकुशल निकल जाता है।
दृश्य 5: कुछ ही क्षणों बाद - डोगा द्वारा सरेआम शोहन दआसगुप्ता की हत्या की खबर समाचारों की सुर्ख़ियों में आ जाती है। युसूफ खान भी ये खबर सुन रहा था की तभी अचानक डोगा उसके सामने आ पहुँचता है। युसूफ खान डोगा को सामने देख उस पर बन्दूक तान देता है। तब डोगा अपनी असलियत बताता है की वह डोगा नहीं बल्कि डोगा के वेष में निर्मूलक है। निर्मूलक युसूफ को बताता है की पिछले दिनों उसके आदमियों की जो हत्याएं हुईं, उनमे से कुछ उसी ने की थी। और ऐसा उसने डोगा की छवि खराब करने के मकसद से किया। उसका यह मकसद अब तक पूरी तरह से सफल भी हुआ है और अब डोगा के ताबूत में बस एक आखिरी कील ठोकना बाकी है।
दृश्य 6: लायन जिम - पुलिस से बचाव और निर्मूलक से हुई हाथापाई के बाद से बेहोश डोगा यानी सूरज को अब तक होश नहीं आया है। अदरक चाचा और मोनिका सूरज के जल्द होश में आने की उम्मीद लिए उसके आँखें खोलने का इंतज़ार कर रहे हैं। अदरक चाचा कहते हैं की वह जो कोई भी है डोगा की छवि ख़राब करने के लिए ये सब हत्याएं कर रहा है और वह अपने मकसद में कामयाब भी हो गया है। उसे अगर कोई रोक सकता है तो केवल डोगा और सूरज अब तक होश में नहीं आया है। सूरज के होश में आने का इंतज़ार करने के अलावा और कुछ भी नहीं किया जा सकता। डोगा के उस अनजान दुश्मन तक पहुँचने का हमारे पास कोई भी सुराग नहीं हैं, सिवाय इस लॉकेट के। अदरक चाचा के हाथों में एक लॉकेट है, जिसमे एक महिला-पुरुष की तस्वीर है।
कहानी जारी रहेगी श्रृंखला के पांचवें भाग "डोगा अंश" में।
दोस्तों, आपको कॉमिक और कहानी कैसी लगी?
ऊपर दिए गए रेटिंग स्केल का उपयोग कर इस कॉमिक को रेट करें।
साथ ही अपनी प्रतिक्रिया कमेंट्स के रूप में दें।
Rate This Post:
Hi Friends,
Welcome to the world of comics, welcome to Raj Comics Info.
To reach the entire world Our Indian SuperHeroes need your support.
Share this Blog, Articles and Reviews ---- As Much As You Can.
Keep the JANNON alive
0 comments:
Post a Comment