Story Vishwa Rakshak | Akhiri Rakshak 4
लेखक: नितिन मिश्रा । चित्रांकन: धीरज वर्मा । रंग संयोजन: भक्त रंजन । संपादक: मनीष गुप्ता
भाषा: हिंदी । पृष्ठ संख्या: 32 । मूल्य: रु 40.00
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नागराज की एंट्री के बाद से कहानी को थोड़ी गति मिली है, लेकिन फिर कई सारे राज्यों पर से पर्दा उठना अभी बाकी है। कम से कम पाठकों को ये तो पता चला की आखिर हुआ क्या था, जिसकी वजह से हमने अब तक चार कॉमिक्स पढ़ डाली। आईये एक नजर डालते हैं, क्या क्या घटा आखिरी श्रृंखला के इस चौथे भाग यानी विश्व रक्षक में।
कहानी: विश्व रक्षक | आखिरी 4 | राज कॉमिक्स
दृश्य 1: विभिन्न ब्रह्माण्ड योद्धाओं के हमले का निशाना बनने जा रहे परमाणु और कारा को नागराज एन वक़्त पर आकर बचा लेता है। नागराज इस लड़ाई में अपनी आम शक्तिओं के अतिरिक्त किसी अन्य दैविक शक्ति का प्रयोग करता है। परमाणु भी अपनी स्तिथि से उभरकर नागराज का पूरा साथ देता है और दोनों मिलकर ब्रह्माण्ड योद्धाओं की फौज को भागने पर विवश कर देते हैं। इस पूरे घटनाक्रम और ट्रांसफ्यूजन के बारे में जानकारी एकत्र करने के मकसद से, नागराज भाग रहे एक स्पेसशिप को रोकता है। लेकिन नागराज के पूछताछ करने से पहले ही उस स्पेसशिप में मोजूद सभी परग्रही भी अन्य प्राणियों की ही तरह ट्रांसफ्यूज़ हो जाते हैं। नागराज के पूछने पर परमाणु उसे इस मुसीबत की शुरुआत के बारे में बताता है।दृश्य 2: इंडियन स्पेस रिसर्च सेंटर, हेडक्वार्टर्स, नई दिल्ली, कुछ महीने पहले - परमाणु बताना शुरू करता है। ये घटना शुरू हुई थी कुछ महीने पहले नई दिल्ली में स्तिथ "इंडियन स्पेस रिसर्च सेंटर" के हेडक्वार्टर्स से। जहाँ प्रोफेसर इव्रित विकराल अपनी असिस्टेंट कृतिका के साथ ब्रम्ह कण पर शोध कार्य कर रहे थे। प्रोफेसर इव्रित विकराल ने एक कोलाइडर मशीन बनायीं थी, जोकि ब्रम्ह कण से ऊर्जा खींचने में सक्षम थी। लेकिन इस काम के लिए उन्हें परमाणु और ध्रुव की मदद चाहिए थी। परमाणु का काम था अपनी एटॉमिक पावर से उस कोलाइडर मशीन को चार्ज करना ताकि कोलाइडर मशीन ब्रम्ह कण से ऊर्जा पा सके। लेकिन ब्रम्ह कण से निकलने वाली ऊर्जा लाखों करोड़ों सांकेतिक शब्दों के रूप में थी। और इन सांकेतिक शब्दों में से कोई एक शब्द ऐसा था जोकि बार बार फ़्लैश होता था। ये सांकेतिक शब्द इतने जटिल थे और इतनी तेज़ी से फ़्लैश होते थे की उस एक शब्द को ढूंढना और उसे डिकोड करना सुपर कंप्यूटर की आर्टफिशल इंटेलिजेंस के बस में भी नहीं था। अब इस काम के लिए ज़रूरत थी एक अत्यंत तेज-तरार दिमाग की और ध्रुव से बेहतर इस काम को भला कौन कर सकता था। ध्रुव के दिमाग से सुपर कंप्यूटर के सेंसर्स जोड़े जाते और ध्रुव का काम था स्क्रीन पर दिखते उन लाखों करोड़ों सांकेतिक शब्दों में से उस एकलौते बार बार फ़्लैश होते शब्द को ढूंढना। जैसे ही ध्रुव का दिमाग उस शब्द का पता लगा लेता तो सेंसर्स के द्वारा ध्रुव से जुड़ा हुआ सुपर कंप्यूटर उस सांकेतिक शब्द को पढ़ कर उसे डिकोड कर लेता और वापस कोलाइडर मशीन तक पहुंचा देता। उस सांकेतिक शब्द के मैच होते ही ब्रम्ह कण असीमित ऊर्जा छोड़ने लगता। ब्रम्ह कण द्वारा इतनी ऊर्जा छोड़ी जाती की एक हफ्ते तक पूरे देश की विधुत आपूर्ति हो सके।
ध्रुव और परमाणु हर हफ्ते इसी प्रक्रिया को पिछले एक साल से दोहराते आ रहे थे। लेकिन उस दिन जब दोनों आपने अपना काम कर रहे थे और प्रोफेसर कृतिका उनका मार्गदर्शन कर रही थी, तभी सिक्योरिटी आलम बजने लगा। कृतिका देखने जाती है की अलार्म किस बजह से बज रहा है। इधर परमाणु अपना काम ख़त्म कर लेता है, लेकिन ध्रुव कुछ गड़बड़ महसूस करता है। वह परमाणु से कहता है की, हर बार सांकेतिक शब्द मैच हो जाने पर ब्रह्म कण से निकलने वाले शब्द रुक जाते थे। लेकिन आज ऐसा नहीं हो रहा है, ब्रम्ह कण लगातार सांकेतिक शब्द भेज रहा है और इनमे एक से ज़्यादा ऐसे शब्द हैं जो बार बार फ़्लैश हो रहे हैं। तभी एक ज़ोरदार धमाका होता है।
दृश्य 3: अब से एक दिन पूर्व - ध्रुव खुद को किसी अंजानी जगह और कुछ रहस्यमय लोगों के बीच पाता है। ध्रुव के पूछने पर उसे बताया जाता है की वह एक दिव्य परिषद के सम्मुख खड़ा है और वह यहाँ इसलिए है क्यूंकि उसने और मानव जाती ने ब्रह्माण्ड के नियमों का उलंघन किया है।
दृश्य 4: ईरी ने एंथोनी और प्रेत अंकल (जैकब) को किसी अज्ञात जगह पर कुछ जांच करने भेजा है। वह जांच कर ही रहे थे तभी एंथोनी का साथी कौआ प्रिंस अचानक बिचलित हो उठता है। एंथोनी और प्रेत अंकल देखते हैं की सामने से एक बड़ी तादाद में जॉम्बीज जैसे दिखने वाले प्राणी चले आ रहे हैं। उनका मुखिया एंथोनी और प्रेत अंकल को बताता है की, "हम सब पिप्सोन ग्रह के रक्त पिशाचों के गुलाम हैं। जैसे पृथ्वी पर जीवन का मुख्य आधार जल है, वैसे ही पिप्सोन गृह पर जीवन का मुख्य आधार रक्त है। एक वक़्त था जब पिप्सोन गृह पर रक्त की निदियां और सागर बहा करते थे, लेकिन बढ़ती आबादी के कारण रक्त स्त्रोत घटते गए। ऐसे में पिप्सोन सभ्यता को बचने के लिए किसी ऐसी जगह को ढूंढ़ना था जहाँ से रक्त की अापूर्ति हो सके। काफी सारे ग्रहों पर घूमने के बाद हमें ये गृह पृथ्वी मिला, जहाँ के प्राणियों के शरीर में वो रक्त है जिसकी ज़रूरत पिप्सोन सभ्यता को है। लेकिन हमारे यहाँ पहुँचने से पहले ही पृथ्वी के सारे मानव गायब हो चुके थे। और अब तुम दोनों बताओ की सब मानव कहाँ पर हैं।"
आगे की कहानी जारी रहेगी आगामी भाग में और तभी पता चलेगा की किसका है ये "अदृश्य षड़यंत्र"।
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