Review - Adrishya Shadyantra
Aakhiri Series | Raj Comics
Code: SPCL-2599-H
ISBN: 9789332425514
Language: Hindi
Colors: Four
Author: Nitin Mishra
Penciler: Hemant Kumar, Tadam
Inker: Vinod Kumar
Colorist: Bhakta Ranjan
Pages: 32
Price: Rs 40.00
Review - Adrishya Shadyantra | Aakhiri -5
The story had completed 122 pages in its 5 parts so far. If we skip this part, then it's almost of 100 pages. In fact, if you are on the 100th page of a comic, then surely you would think that the story is about to complete. But here the situation is slightly different. Just now we have come to know that, from where all these incidents had started, and who the main villain is. You can say that, "This was just the trailer, the film will begin now".
When compared to the number of pages, the pace of the story in all the previous four parts was extremely disappointing. But this part and the previous part 4 have removed all the restrictions from the pace of the story, and have given momentum to the story.
Moreover, the story is getting a little tricky. Take the example of Parmanu, he tells a pre-incident to Nagraj, and finish it with this dialogue, "And before saying anything, Dhruva was transfused from here". Transfused, but from where? From Professor‘s lab, just after the blast? Or, from here S.A.T.I Delhi? If from here, then what happened after the explosion in the lab? By the way, Parmanu was telling the incident of Professor's Lab. "Dhruva was here and he was just transfused", this point he had already told to Nagraj. A little bit confusion here. Hopefully, the author will surely give the answer in the next part.
I am extremely happy with the artwork of this comic and maybe you too. In comparison to the previous parts the artwork has been improved much higher, which is quite impressive. If you want to see how much it has improved, then open the 1st page of the comics and on the other hand see all the pages from 2 to 23, you will definitely get the answer. All picture of the comic are pretty good, there is a good depiction of each character. Especially, see the page number 12 penciling is brilliant and the color combinations too good. But a few frames of some pages needs to improve a little more, see the "weak aspects of comics*". For overall artwork, I gave 4 out of 5 points.
Weak aspect of the comic:
- The scene on the title cover and on the summary page of comic, has not been shown anywhere within the comic. The reader gets an idea about the comic by looking at its title cover. In my opinion, the title cover should be according to the story, and should be connected to the story.
- *Well, the artwork of the comic, penciling, coloring everything is great. But in a few pages, the picture of same character in different frames seems different. As though that they had been drawn by two different artists. Here is little need to be focused.
- The receptor device was on the hand of Nagraj until it receives the signals of See-Thru. But after the entry of See-Thru, the receptor device is not on Nagraj's hand. And Nagraj is not shown anywhere removing that device from his hand. Well, that is See-Thru who is invisible, not the receptor device. :D
- Just except Parmanu, Dhruv and Nagraj, the role of other heroes is negligible in so far released five comics. Compared to other heroes, "Kara" has much to do, and her role is also effective in this series.
Strong aspects of the comic:
- Artwork, Penciling, color combination everything is extremely impressive, truly praiseworthy. Much higher in quality than the previous four parts. The artists are entitled to praise.
- Adrishya Shadyantra this part of the series has given momentum to the story. Also, the readers have got the answers of some of their questions in this part.
Little laugh (Don't Mind):
The body of Professor Evrit Vikraal has been captured by See-thru, and the face of professor has been changed with the face of See-Thru. Now the body is of Professor, and the face (skull) is of See-Thru. Also, the pony tail of Professor is now on the skull of See-Thru. So, what was wrong with the beard? Don't you think that, See-Thru in beard may get more dangerous look? :POverall, I'd say that the readers will not disappoint with the comic Adrishya Shadyantra. If something we missed in the comic that were the page numbers. And this reduction will be fulfilled in the next part. The next and the upcoming part will change our outlook towards the Aakhiri series. I am eagerly waiting for the upcoming part-6 of Aakhiri Series, the "Brahmaand Vikhandan".
Guys and Gals, please share your views about this comic with us, Raj Comics Info welcome you wholeheartedly.
See you again in the next review of "Brahmaand Vikhandan". Until then read the other stories.
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समीक्षा अदृश्य षड़यंत्र - आखिरी श्रंखला राज कॉमिक्स:
आखिरी श्रृंखला के ताज़ातरीन भाग अदृश्य षड्यंत्र ने कई राजों पर से पर्दा उठाया है और कई गहरे राज़ अभी भी सामने आने को बेताब हैं। अदृश्य षड्यंत्र कॉमिक में हमने जाना कि नागराज का पुराना दुश्मन सी-थ्रू एक बार फिर से लौट आया है। और हाल ही में घटित ट्रांस्फीउसन की घटनाओं की शुरआत की वजह कहीं न कहीं सी-थ्रू ही है। तो आइए चर्चा करते हैं कॉमिक अदृश्य षड़यंत्र पर।
कहानी अब तक अपने 5 भाग पूरे कर 122 पृष्ठों की हो चुकी है। अगर इस भाग को छोड़ दें तो लगभग 100 पृष्ठ। देखा जाए तो, अगर आप किसी कॉमिक्स के 100वें पृष्ठ पर हैं, तो यक़ीनन आप सोचेंगे की कहानी लगभग समाप्त होने को है। लेकिन यहाँ स्तिथि ज़रा अलग है, अब जाकर हमें यह पता चला है कि इस सब की शुरुआत कहाँ से हुई और मुख्य दुश्मन कौन है। आप कह सकते हैं की "पिक्चर तो अभी बाकी है मेरे दोस्त"।
कहानी अब तक अपने 5 भाग पूरे कर 122 पृष्ठों की हो चुकी है। अगर इस भाग को छोड़ दें तो लगभग 100 पृष्ठ। देखा जाए तो, अगर आप किसी कॉमिक्स के 100वें पृष्ठ पर हैं, तो यक़ीनन आप सोचेंगे की कहानी लगभग समाप्त होने को है। लेकिन यहाँ स्तिथि ज़रा अलग है, अब जाकर हमें यह पता चला है कि इस सब की शुरुआत कहाँ से हुई और मुख्य दुश्मन कौन है। आप कह सकते हैं की "पिक्चर तो अभी बाकी है मेरे दोस्त"।
पृष्ठों की संख्या के हिसाब से देखें तो पिछले चारों भागों में कहानी की गति बेहद निराशजनक थी। लेकिन इस भाग और पिछले भाग-4 ने गति पर लगा अवरोध काफी हद्द तक हटा दिया है और कहानी को गतिशील किया है।
इसके अलावा कहानी थोड़ी पेचीदा भी हो रही है। परमाणु को ही ले लीजिए, जब परमाणु नागराज को पूर्व की घटना के बारे में बताता है, तो वह इसका अंत करता हैं इस संवाद के साथ, "और कुछ कह पाने से पहले ही ध्रुव यहाँ से ट्रांसफ्यूज़ हो गया"। कहाँ से गायब हो गया? प्रोफेसर इब्रित विकराल की लैब में हुए धमाके के बाद से? या फिर यहाँ, (एस.ऐ.टी.आई) नई दिल्ली से? अगर यहाँ से, तो लैब के धमाके के बाद क्या हुआ? वैसे परमाणु कहानी तो प्रोफेसर की लैब वाली घटना की ही सुना रहा था। "ध्रुव भी यहाँ पर था और अभी अभी ट्रांसफ्यूज़ हुआ है", ये तो वह पहले ही नागराज को बता चुका है। उम्मीद है इसका जवाब लेखक आगामी भाग में जरूर देंगे। मुझे लग रहा है की कहानी पाठकों की दिमागी कसरत करवा रही है, चलो अच्छा है हमारी भी मानसिक शक्ति नागराज की तरह हो जाए शायद :d ।
लगता है पिछले रिव्यु में मेरी कही आर्टवर्क की बात राज कॉमिक्स टीम तक पहुँच गयी है :d । खैर जो भी हो, मैं इस कॉमिक्स के आर्टवर्क से बेहद खुश हूँ और शायद आप भी होंगे। आर्टवर्क में पहले के मुकाबले थोड़ा नहीं बल्कि काफी ज़यादा सुधार हुआ है, जोकि काबिले तारीफ़ है। कितना सुधार हुआ है अगर यह देखना है, तो कॉमिक के पहले पृष्ठ "पूर्वसार" को देखें और फिर पृष्ठ 2 से लेकर 23 तक पूरी कॉमिक देखें, आपको जवाब मिल जाएगा। कॉमिक्स के सारे चित्र काफी अच्छे बने हैं, हर किरदार का चित्रांकन बढ़िया हुआ है। खासकर देखें पृष्ठ सख्या 12, पेन्सिलिंग शानदार है, रंगसंयोजन बेहद उम्दा। लेकिन कुछेक पृष्ठों में चित्र थोड़े गड़बड़ हैं, कैसे? देखें "कॉमिक्स के कमजोर पहलु*"। ओवरआल आर्टवर्क को 5 में से 4 अंक मेरी तरफ से।
कॉमिक्स के कमजोर पहलु:
- कॉमिक्स के मुखपृष्ठ और पूर्वसार में जो दिखाया गया है वह कॉमिक्स के भीतर कहीं भी नहीं है। एक पाठक मुखपृष्ठ देखकर कॉमिक्स की कहानी का अंदाजा लगाता है। मेरे विचार में मुखपृष्ठ का कहानी के अनुसार और कहानी से जुड़ा होना अति आवश्यक है।
- *वैसे तो कॉमिक्स का आर्टवर्क, पेन्सिलिंग, कलरिंग सब बढ़िया है। लेकिन कुछेक पृष्ठों में एक ही किरदार के चित्र अलग-अलग फ्रेम्स में अलग-अलग दिख रहे हैं। मानो दो अलग-अलग कलाकारों द्वारा बनाए गए हों। यहाँ पर थोड़ा ध्यान देने की ज़रूरत है।
- सी-थ्रू के सिग्नल मिलने तक नागराज के हाथ पर रिसेप्टर डिवाइस था। लेकिन सी-थ्रू की एंट्री के बाद के किसी भी दृश्य में रिसेप्टर डिवाइस नागराज के हाथ पर नहीं है। और नागराज कहीं पर भी उस डिवाइस को अपने हाथ से निकलते हुए नहीं दिखाया गया है। अरे भाई, अदृश्य सी-थ्रू को बनाना था, रिसेप्टर डिवाइस को नहीं :d ।
- अब तक जारी हुई पाँचों कॉमिक्स में नागराज ध्रुव और परमाणु को छोड़कर बाकी के अन्य हीरोज की भूमिका बस कहने मात्र की ही है। अन्य हीरोज के मुकाबले इस श्रंखला में "कारा" के करने के लिए काफी कुछ है, और उसकी भूमिका भी प्रभावी है।
कॉमिक्स के सशक्त पहलु:
- आर्टवर्क में पेन्सिलिंग और रंग संयोजन बेहद शानदार हुआ है काबिले तारीफ़। पिछले चारों भागों की तुलना में कहीं ज़्यादा उम्दा। कलाकार प्रशंसा के हकदार हैं।
- अदृश्य षड़यंत्र, इस भाग से कहानी को गति मिली है। इसके अलावा, पाठकों को कई सारे सवालों में से कुछ के जवाब भी इस भाग में मिले हैं।
थोड़ा हंसी मजाक (बुरा न मानो):
सी-थ्रू ने प्रोफेसर के शरीर पर कब्ज़ा कर लिया और प्रोफेसर का चेहरा बदल गया सी-थ्रू के चेहरे से। शरीर प्रोफेसर का और बिना मांस के हड्डी वाला चेहरा (खोपड़ी) सी-थ्रू का। प्रोफेसर के बाल भी सी-थ्रू की खोपड़ी पर आ गए। तो भाई, दाढ़ी में क्या बुराई थी? :p
कुलमिलाकर मैं यह कह सकता हूँ की अदृश्य षड़यंत्र ने पाठकों को निराश नहीं किया होगा। इस पूरी कॉमिक्स में अगर कोई कमी है, तो वह है इसकी पृष्ठ संख्या। और यह कमी आगामी भाग में पूरी होने वाली है। आगामी भाग "आखिरी श्रृंखला" के प्रति हमारा नजरिया बदल देगा। बेसब्री से इंतज़ार है आगामी भाग-6 "ब्रह्माण्ड विखंडन" का।
दोस्तों, इस कॉमिक के बारे में अपने विचार हमारे साथ साझा करें, आपका तहे दिल से स्वागत है।
तो फिर मिलेंगे अगली यानि "ब्रह्माण्ड विखंडन" की समीक्षा में। तब तक पढ़िए अन्य समीक्षाएँ और कहानियां।
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